Sunday, April 3, 2011

सावन मरा नहीं करता ......


कुछ पानी के बह जाने से  सावन मरा नहीं करता .....
कुछ चेहरों के रूठ जाने से  दर्पण मरा नहीं करता .....
मिलना और मिलकर चले जाना
यही नियति है जीवन की
कुछ पाना है तो कुछ खोना है
मगर सब कुछ पाकर भी
कुछ खोने का एहसास मरा नहीं करता ......
कुछ पानी के बह जाने से सावन मरा नहीं करता .......

यहाँ मंजिल है हर एक रास्ते की
रास्तों में पड़ाव भी आते हैं
सफ़र ज़रा लम्बा है तो
पल भर ठहर भी जाते हैं
लेकिन ठहर जाने से भी  वक़्त ठहरा नहीं करता
कुछ पानी के बह जाने से सावन मरा नहीं करता ......

ये गीत मेरा है, ये लफ्ज़ भी मेरे हैं
लिखा है इसको किसी वक़्त में गुनगुनाने के लिए
मगर भी गाऊ तो इनका साज़ मरा नहीं करता ....
कुछ पानी के बह जाने सावन मरा नहीं करता ........

जो रूठ गया सो रूठ गया
जो छूट गया सो छूट गया
हर बात समझाने के लिए नहीं होती
ज़िन्दगी हमेशा पाने के लिए नहीं होती
बनने बिगड़ने के इस खेल में जीवन कभी रुका नहीं करता ........
कुछ पानी के बह जाने से सावन मरा नहीं करता .........

5 comments:

  1. woww....chotu....tum to kamaal kar rhe ho ab...
    i seriously think this is amazing....
    the hardcore reality of life....but put in such lovely words!!! will b waiting for more... :) :)

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  2. wonderful..write more...abhi accha hai par perfect nahi hai...write more

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  3. great chotu.. but need little bit of refinement...
    but great work.. :) :)

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  4. cha gaye sir .... gr8 work .. hame pata tha tumme koi baat hai .. jate jate ab rulaoge kya ..

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  5. thnx everyone for support.. i will keep it up for sure :)

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